नई दिल्ली. पिछले कुछ सालों से भारत को लोकतंत्र और शासन से जुड़े वैश्विक इंडेक्सों में कमजोर आंका जाता रहा है। कभी ‘फ्रीडम इंडेक्स’ तो कभी ‘वी-डेम’ जैसी लगातार रिपोर्टों ने भारत की छवि धूमिल की है। हालिया ‘लिबरल डेमोक्रेसी इंडेक्स’ में भी भारत 179 देशों में 100वें स्थान पर पहुंच गया। भारत सरकार कहती आई है कि ऐसे सूचकांकों के आकलन संदिग्ध पद्धति और पश्चिमी दृष्टिकोण से बने हैं, जो भारत जैसे विविध और बड़े लोकतंत्र की जटिलताओं को समझ नहीं पाते। उदाहरण के लिए, 2023 के ‘वर्ल्ड गवर्नेंस इंडिकेटर्स’ में भारत को राजनीतिक स्थिरता पर बेहद कम अंक मिले, जबकि सरकारी दक्षता में बेहतर रैंकिंग दर्ज हुई। ऐसे में तय किया गया है कि भारतीय थिंक टैंक भी ऐसे वैश्विक इंडेक्स तैयार करें, ताकि सटीक दृष्टिकोण सामने आ सके।
आइआइएएस की अध्यक्षता के साथ पहल
जून 2025 में ब्रसेल्स स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडमिनिस्ट्रेटिव साइंसेज़ (आइआइएएस) की अध्यक्षता हासिल करने के बाद भारत ने सुझाव दिया कि एक नया ‘इंटरनेशनल गवर्नेंस इंडेक्स’ बनाया जाए। यह पहल भारत की तीन साल की अध्यक्षता की 100 दिन की उपलब्धियों में शामिल की गई है। इसमें वर्ल्ड बैंक, ओईसीडी और संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं से सहयोग लेने पर सहमति बनी है। जल्द ही एक कार्यकारी समूह बनाकर 2026 की सालाना कॉन्फ्रेंस में इसे औपचारिक एजेंडे के रूप में रखा जाएगा। भारत का यह प्रयास केवल छवि बचाने की कवायद नहीं, बल्कि शासन को समझने के लिए एक समानांतर और संतुलित फ्रेमवर्क खड़ा करने की कोशिश है।
एक संतुलित फ्रेमवर्क की कर रहे तैयारी
साल 1930 में स्थापित आइआइएएस के 31 सदस्य देश हैं और यह संयुक्त राष्ट्र से जुड़ा भले न हो, लेकिन उससे सक्रिय रूप से सहयोग करता है। विशेषज्ञों के अनुसार आइआइएएस के सहयोग से भारत का यह प्रयास केवल छवि बचाने की कवायद नहीं, बल्कि शासन को समझने के लिए एक समानांतर और संतुलित फ्रेमवर्क खड़ा करने की कोशिश है।
Published on:
05 Oct 2025 12:25 am