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ट्रैफिक समस्या का चाहिए पिण्डदान..राजनीति के पण्डे चकराए से हैं

लगातार 35 साल के शासन बाद अब शिकायत और सकून के द्वन्द्व में भी वोटर फंसा नजर आ रहा है। बहरहाल गया में बड़ी सौगातों की बयार भी नजर आने लगी है,निर्माणाधीन रेलवे स्टेशन, आइआइएम, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पीटल, तालाब सौंदर्यकरण और ब्रह्मजोनी रोप वे अब गया के आने वाले दिनों की चमक-दमक होंगे।

मोक्ष की धरती: 35 साल से विष्णुपदी धरा पर भाजपा का अंगद पांव

सनातन की मान्यता में दुनियां में यह पांच कोसी धरती है जो मोक्षदायिनी है। त्रेता युग में फल्गु नदी के किनारे बसे इस स्थल पर भगवान श्रीराम ने पिता राजा दशरथ के तर्पण को आए थे। पितृमोक्ष की मान्यता को मानने वाले 25 हजार से अधिक श्रद्धालु यहां पिण्डदान कर आत्मसंतुष्टि से विदा होते है। परम संतोष की इस धरती पर इन दिनों राजनीतिक खलबली मची है। फल्गु नदी की लहरें कहती है कि इस बार नैया पार लगाने के लिए भाजपा को जोर लगाना पड़ेगा और कांगे्रस ने जोर लगाया तो उसकी नाव किनारे लग सकती है। जीत-हार के अंतर का भंवर खड़ा किया है जनसुराज ने।

गया, बिहार.

मोक्ष की भूमि बिहार के दूसरे बड़े शहर गया में चुनावी चौसर बिछ गई है। सर्दी असरदार नहीं है, लेकिन चुनावी गर्माहट और गर्मजोशी दोनों सिर चढक़र बोल रही है। मौजूदा विधायक और भाजपा प्रत्याशी प्रेमकुमार अंगद के पांव की तरह यहां की विधायकी सीट पर जमे है।। आठ दफे लगातार जीतकर 35 साल से कांग्रेस के तमाम प्रयोगों को विफल कर चुके प्रेमकुमार के सामने पिछली बार के हारे कांग्रेस के प्रत्याशी अखौरीओंकारनाथ(मोहन श्रीवास्तव) दुबारा मैदान में है। स्थिति की रोचकता जेएसपी (जन सुराज पार्टी)के प्रत्याशी धीरेन्द्र अग्रवाल है, जो मुकाबले को त्रिकोण तो नहीं कर पाएंग लेकिन वे जितने वोट ज्यादा लाएंगे उतनी माथे पर सलवटें प्रेमकुमार के पडऩे का गणित गया के राजनीति के पण्डे लगा रहे है। 11 नवंबर को दूसरे चरण में यहां मतदान होगा, जिसके लिए अब पूर्ण ताकत झांैंक दी गई है।

शिकायत..सकून का द्वन्द्व

गया जो इस दौर में आ गया वो पितृ मोक्ष के सकून के साथ एक इस सिकन को भी नहीं भूल पाएगा कि ट्रैफिक में कैसा फंसा था। सडक़ों पर पड़े गड्ढों में वाहन हिचकोले खाते है। ट्रैफिक पुलिस अधिकांश जगह नजर नहीं आती। सडक़ेंचौड़ी तो है पर अतिक्रमण उन पर चढ़ते ही जा रहा है और रोकने-टोकने वाला कोई नहीं। यही सारी शिकायतें यहां के वोटर्स को है, जो रोजमर्रा की परेशानियों से घिरा है। पंडित रविशंकर नारायणचुआंरोड़ पर मिले, बोले..सडक़ें सुधर जाए और ट्रैफिक ये दो बड़ी समस्या है। जैनधर्माशाला महादेव घाट पर वीणादेवी कहती है तमाम समस्याएं है, लेकिन एक सकून है..पर गुण्डागर्दी का डर कम हुआ है।

आज नहीं दूंगा..मीडिया साथ है

विक्रम यादव टैम्पो का साथी रहा। विक्रम के सामने दो लोग पर्ची लेकर आए तो उसने तनते हुए कहा, मीडिया..आज मीडिया संगे है,काहे का पर्ची। दरअसल इस ठेका प्रथा पर्ची से ये लोग परेशान है। हर रोड़ पर एक पर्ची कटती है,जो रोड़ टैक्स है। विक्रम सवाल करता है कि यहां रोड़ ही सही नहीं है। ट्रैफिक ठीक नहीं है। फिर भी पर्ची वसूलते है।

कार्यालय:भाजपा-पढ़ों,अखबार की कतरनें..कांग्रेस: किले में किलाबंदी

बिसार तालाब के पास में भाजपा कार्यालय है। यहां अखबार की कतरनों की बड़ी प्रदर्शनी लगी है जो जंगलराज को दर्शा रही है। प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राजदेव पंडित बताते है कि यह उनके लिए शुभ है, यहां से हर बार जीत हासिल होती है। इस बार धीरेन्द्र अग्रवाल फेक्टर पर वे यह तो स्वीकार करते है कि नुकसान हमारा होगा,लेकिन लोकसभा चुनावों की जीत का गणित बताते हुए पक्ष अपना ही मजबूत बता रहे है।

कांग्रेसअखौरीऔंकारनाथ का कार्यालय

रायकाशीरोड़ के एक आलीशान होटल में है, जो किले की तरह है। यहां ऊपर की मंजिल केवल विशेष लोगों के प्रवेश की है। नीचे सभी जगह पर कायकर्ता जमा है। कार्यालय में बैठे शिवकुमार कहते है कि इस बार पूरा जोर लगा रहे है। पिछला अंतर 10 हजार के पास का था, इतना तो धीरेन्द्र ही काट देगा। जीत का पूरा चांस है..हां। जनसुराज पार्टी के धीरेन्द्र अग्रवाल स्वराजपुरी में है, यहां कम भीड़ रहती है। शाम को प्रत्याशी के आने के बाद भीड़ होती है, ऐसा पार्टी कार्यालय प्रभारी ने बताया।