
बाड़मेर: बाड़मेर और जालोर जिले में रेअर अर्थ के खजाने को लेकर केंद्र सरकार ने सख्ती शुरू कर दी है। चीन निर्यात हो रहे चिन्हित खदानों के ग्रेनाइट पर अघोषित रोक लगा दी गई है। इसे अब सरकारी संरक्षण में लेने की तैयारियां शुरू कर दी है। चीन के एकाधिकार को तोड़ने के लिए यह खजाना भारत के लिए महत्वपूर्ण है।
जालोर और बालोतरा में रेअर अर्थ (दुर्लभ खनिज) का खजाना है। इस खजाने पर परमाणु ऊर्जा विभाग ने 2021-22 में कार्य प्रारंभ किया था। जालोर और मोकलसर में निकलने वाले ग्रेनाइट की मांग एकाएक चीन में बढ़ने लगी है।
सूत्रों के मुताबिक, यह जानकारी केंद्र सरकार के संज्ञान में आने पर इस पर गौर किया तो आशंका हुई कि यह वही ग्रेनाइट है जिसमें रेअर अर्थ छुपा हुआ है। लिहाजा चीन जाने वाले इस रेअर अर्थ को रोकने की अघोषित योजना बनी और धीरे-धीरे अब इन खदानों को सरकार के नियंत्रण में लिया जा रहा है।
भारत में चीन से 700 टन के करीब आयात हर साल हो रहा है। इसके अलावा हांगकांग, जापान, अमरीका, इंग्लैंड, स्वीडन, सिंगापुर और मंगोलिया से कम मात्रा में आयात हो रहा है। भारत का कुल आयात 1185 टन है।
सेंजी की बेरी मेली, इंद्राणा सिवाना, सुकलेश्वर मंदिर, निमाड़े की पहाड़ी दंताला, कुंडल-धीरा, मवड़ी, सिलोर दंताला, कालूड़ी, टापरा, गुड़ानाल, बाछड़ाऊ (धोरीमन्ना),गूंगरोट और रेलों की ढाणी तेलवाड़ा सहित अन्य इलाकों में खोज चल रही है।
बालोतरा के सिवाना की पहाड़ियों में 1 लाख 11 हजार 845 टन दुर्लभ खनिज की उपलब्धता भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग ने मानी है। राज्य में 35 दुर्लभ खनिज परियोजनाएं और 195 खोज परियोजनाओं में अब बालोतरा का सिवाना इलाका शामिल है। परमाणु ऊर्जा विभाग ने साल 2021-22 से इस पर कार्य प्रारंभ किया। इसमें जी-4 (प्रारंभिक अन्वेषण) और जी-3 (संसाधन जुटाने के आगामी स्तर) तक कार्य चल रहा है।
यह रेअर अर्थ साल 2011-12 में मिलने के संकेत को लेकर राजस्थान पत्रिका ने सबसे पहले समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद में इस मामले में लगातार कार्यवाही खनिज विभाग आगे बढ़ाता रहा। साल 2021-22 में इसको लेकर पुष्टि हुई। पिछले 15 साल में ग्रेनाइट के रूप में इस खजाने को खूब गंवाया गया है। लेकिन अब इस पर रोक लगने से यह बहुमूल्य होगा।
Published on:
27 Nov 2025 02:32 pm

