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चिकित्सक बना शिक्षक, बदल दी ग्रामीण बच्चों की तकदीर

एक चिकित्सक ने शिक्षक बन गांवों के गरीब, असहाय और जरूरतमंद बच्चों को डॉक्टर बनने का न केवल सपना दिखाया वरन उसको पूरा करने का मौका दिया। बच्चों की पढ़ाई के लिए भामाशाहों से मदद मांगी तो मार्गदर्शन के लिए चिकित्सकों का सहयोग लिया और खुद ने भी पढ़ाया। 2012 में उन्होंने बाड़मेर शहर में फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान शुरू की जो मिसाल बन गई है। यहां मेडिकल क्षेत्र में प्रतिभाएं चयनित हो रही है तो सरकारी नौकरी सहित अन्य क्षेत्र में भी झंडे गाड़ रही है। इन 14 सालों में यहां 286 बच्चे आए जिसमें से 235 सफल होकर गए हैं। अन्य बच्चे आगे की पढ़ाई कर रहे हैं।

बाड़मेर में गरीब,ग्रामीण विद्यार्थी बिना कोचिंग प्राप्त कर रहे सफलता

25 मई 2012 को बाड़मेर में फिफ्टी विलेजर्स सेवा संस्थान की स्थापना छीतर का पार के डाॅ. भरत सारण ने की। सारण ने पहली से लेकर एमबीबीएस तक की पढ़ाई सरकारी स्कूलों में की थी और उनका सपना था कि बाड़मेर जिले के ऐसे बच्चे तो प्रतिभाशाली तो है लेकिन आर्थिक िस्थति और उचित मार्गदर्शन के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं, उनको बड़े सपने दिखा उनको पूरा करना। इस मुहिम में उन्होंने अपने कुछ साथियों को लिया और कार्य आरंभ किया। दसवीं उत्तीर्ण ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों के 25 बच्चे चयनित कर उनको 11वीं में बाड़मेर के सरकारी विद्यालय में प्रवेश दिलवाया, अगले साल 25 बच्चे और लाए। इस प्रकार दो साल में 50 बच्चों के साथ फिफ्टी विलेजर्स की शुरूआत की। इनमें चयन का आधार आर्थिक रखा गया जिसमें सभी जाति, धर्म और वर्ग को प्रवेश दिया गया। अब तक चयनित बच्चों में असाध्य बीमारी से ग्रस्त माता-पिता के 10, बिना माता-पिता के 14, बिना माता के 15, बिना पिता के 15, एसी वर्ग के 10 व एसटी वर्ग के 53 बच्चों का चयन हुआ है। इनमें से सर्वाधिक चयन मेडिकल क्षेत्र में 140 बच्चों का हुआ है जिसमें से 23 एम्स चयनित हैं।

अब 75 बच्चे हर साल पाते प्रवेश- पिछले तीन साल से 75 बच्चों का चयन हो रहा है। इनमें से 25 बच्चे बाड़मेर में, 25 बीकानेर में खुली नई शाखा और 25 बच्चियां बाड़मेर के चयनित होती हैं। दो साल में 150 बालक-बालिकाओं का चयन हो रहा है।

ना अध्यक्ष ना कोई कार्यकारिणी- संस्थान की खास बात है कि संस्थान की कार्यकारिणी है ना ही कोई अध्यक्ष। इससे शिक्षक, चिकित्सक, भामाशाह, अभिभावक, आमजन जो भी सहयोगकर्ता है, वे जुड़े हुए हैं। सभी मिलकर एक ही काम कर रहे हैं कि बाड़मेर की ग्रामीण गरीब प्रतिभाओं के सपने सच हो और चिकित्सक बन जनसेवा करें या अन्य क्षेत्र में सफल हो।

गरीब बच्चों के सपने हो पूरे- मैंने एमबीबीएस द्वितीय वर्ष में अध्ययन के दौरान एपीजे अब्दुल कलाम के मिशन 2020 के तहत सपना देखा जिसमें बाड़मेर के गरीब, कमजोर तबके के बच्चों को मेडिकल के क्षेत्र में आगे बढाऊं। साथियों के सहयोग से संस्थान चल रही है। बाड़मेर के भामाशाहों का सहयोग मिल रहा है। 140 बच्चों का मेडिकल क्षेत्र में चयन होना बड़ी उपलिब्ध है। पूर्व जिला प्रमुख मदनकौर का मार्गदर्शन अहम रहा। - डॉ. भरत सारण, फाउंडर फिफ्टी विलेजर्स संस्थान