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Rajnath Statement on Sindh : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ठहरे हुए पानी में मारा कंकर, भारत-पाक के लाखों दिलों में मची हलचल

Rajnath statement on Sindh : पाकिस्तान के सिंध इलाके में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान ने हलचल मचा दी है। उनके इस बयान का बड़ा असर सीमांत बाड़मेर-जैसलमेर ही नहीं समूचे राजस्थान के पाक विस्थापितों पर पड़ा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह। फोटो - ANI

Rajnath statement on Sindh : पाकिस्तान के सिंध इलाके में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान ने हलचल मचा दी है, जिसका असर सीमांत बाड़मेर-जैसलमेर में भी है। सिंध की जमीन को भविष्य में भारत का हिस्सा बनाने की उम्मीद से इंकार नहीं करने का यह बयान यहां बसे एक लाख से अधिक सिंध से आए पाक विस्थापितों की जैसे दुखती रग पर हाथ रख गया है। रोटी-बेटी के रिश्ता निभा रहे इन परिवारों के लिए थार एक्सप्रेस बंद होने के बाद रिश्तों में दूरियां आई हैं तो दूसरी ओर दोनों देशों का तनाव भी उन्हें परेशान करता है। इन दिनों पाकिस्तान के सिंध सहित अन्य इलाकों में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार और धर्म परिवर्तन की घटनाएं प्रतिदिन इन परिवारों को दु:खी किए हुए हैं।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में सिंधी समाज के एक कार्यक्रम में कहा कि सिंध भौगोलिक रूप से पहले भारत का हिस्सा था। 1947 के बंटवारे में यह अलग हुआ। उन्होंने कहा कि कल को भौगोलिक स्थिति बदल सकती है। सिंध भारत में हो सकता है। उनके इस बयान का बड़ा असर सीमांत बाड़मेर-जैसलमेर ही नहीं समूचे राजस्थान के पाक विस्थापितों पर पड़ा है।

एक लाख से ज्यादा विस्थापित

1947 के बंटवारे में 66 हजार से अधिक, 1965 व 1971 के युद्ध में 33 हजार और इसके बाद में लगातार पाकिस्तान के सिंध इलाके से भारत में पाक विस्थापित आते रहे हैं। इनको भारत में आने के बाद शरण मिली है। साथ ही इन सभी को लगभग अब भारत की नागरिकता मिल गई है। ये परिवार पाकिस्तान छोड़कर यहां आने के बाद से खुश हैं।

सिंध से आज भी नाता

सिंध इलाके छाछरो, मीरपुर खास, मिठी, गडरा, खिपरो सहित तमाम इलाकों से लोग यहां आकर बसे हैं तो उनके परिवार के वे सदस्य जो नहीं आए हैं, वे सिंध में ही है। इन परिवारों के साथ इनका रोटी-बेटी का रिश्ता है। अभी तक पाकिस्तान से दुल्हनें यहां आती हैं और शादियां रचाई जा रही हैं। पाकिस्तान में किसी की मौत होने पर भारत में बैठक होती है, भारत से खबर पहुंचते ही वहां शोक होता है।

संपत्तियां छोड़कर आए हुए हैं लोग

पाकिस्तान के ऐसे कई गांव है जहां पर हिन्दू परिवार अपनी जमीनें और संपत्तियां छोड़कर आ गए हैं। इन परिवारों की संपत्ति आज भी वहां पर है, जिसकी देखभाल परिवार के दूसरे लोग कर रहे हैं। जब भी वे आएंगे इसके ताले खोलेंगे।

छटपटा रहे हैं सिंध में रहने वाले हिन्दू

सिंध में रहने वाले लोगों के लिए अब वहां पर मुश्किलें बढ़ रही है। धार्मिक प्रताड़ना के शिकार होने लगे हैं। हाल ही में 21 नवंबर को एक युवती का धर्म परिवर्तन हुआ है। आए दिन हिन्दुओं पर धर्म परिवर्तन का दबाव बन रहा है। 1947 में पाकिस्तान में कुल आबादी का करीब 14 प्रतिशत हिस्सा हिन्दू थे, अब केवल दो प्रतिशत ही बचे हैं। इसमें भी अधिकांश सिंध इलाके में ही रहे हैं। हिन्दू युवतियों का अपहरण कर उनका जबरन निकाह हो रहा है। जिसमें पिछड़े और दलित परिवार ज्यादा है।

पिछड़ेपन का शिकार

सिंध इलाके का विकास नहीं हो रहा है। यहां पानी की भारी किल्लत है। कई महीनों से पाकिस्तान के सिंध इलाके के लोग अपने हिस्से का पानी, पाकिस्तान के पंजाब से जुड़े इलाके को देने और सिंध को वंचित रखने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। सिंधु जल नदी बंटवारे का पानी भारत की ओर से रोकने का भी बड़ा असर सिंध को ही झेलना पड़ रहा है।

थार एक्सप्रेस से आए, वापस गए नहीं

2006 से 2018 के बीच में भारत-पाक के बीच में जोधपुर से कराची के बीच में साप्ताहिक रेल थार एक्सप्रेस संचालित हो रही थी, जिसे पुलवामा हमले के बाद बंद कर दिया गया। इस रेल से 14 लाख यात्रियों ने 12 साल में सफर किया। इसमें से भी बड़ी संख्या में सिंध के लोग वापस नहीं गए। अस्थायी वीजा पर रहे इन लोगों को भी नागरिकता मिलती रही है।

1971 में जीता था…सिंध तो हमारा हो गया था

1971 के युद्ध में भारत ने बाड़मेर जिले के बाखासर से ब्रिगेडियर भवानीसिंह के नेतृत्व में 3 दिसंबर को हमला किया था और 9 दिसंबर को 100 किमी भीतर जाकर पाकिस्तान के छाछरो में तिरंगा लहरा दिया था। शिमला समझौता नहीं होने तक करीब 9 महीने सिंध इलाका पूरा भारत के कब्जे में रहा था। यहां बाड़मेर जिला लगता था और बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक और कलक्टर इसके प्रतिनिधि थे। शिमला समझौते के बाद यह जमीन पाक को लौटाई गई थी। इसी इलाके को वापस भारत में मिलाने की बात कहकर रक्षामंत्री ने दोनों देशों में बड़ी हलचल ला दी है।

राजनाथ सिंह का प्रस्तावित है कार्यक्रम

जानकारी अनुसार 1971 के भारत-पाक युद्ध में सिंध फतह करने में अहम भूमिका निभाने वाले ब्रिगेडियर भवानीसिंह के साथी रहे बलवंतसिंह बाखासर की मूर्ति का अनावरण कार्यक्रम 13 दिसंबर को प्रस्तावित है। इस कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आने का भी प्रस्तावित कार्यक्रम है। इसके अलावा उप मुख्यमंत्री दीयाकुमारी रहेगी, जिनके पिता ब्रिगेडियर भवानीसिंह ने सिंध फतह की कमान संभाली थी।