Barmer Murder: बाड़मेर: जालोर हाइवे पर बुधवार रात घर लौट रहे शराब कारोबारी पर बदमाशों ने पीछा कर घेराबंदी की और धारदार हथियारों से हमला बोल दिया। खून अधिक बहने से कारोबारी की मौत हो गई। जबकि उसका साथी गंभीर घायल हो गया। पुलिस ने मुख्य आरोपी एनएसजी कमांडो समेत आठ लोगों पर हत्या का मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की गई है।
सदर थाना पुलिस के अनुसार, शराब कारोबारी खेताराम पुत्र राऊराम निवासी होडू, हरलाल पुत्र मूलाराम और वीरेंद्र पुत्र तेजाराम निवासी आडेल सरणु गांव से दुकान बंद कर सिणधरी सड़क मार्ग से होडू गांव जा रहे थे। शराब ठेके से करीब 500 मीटर दूर मुख्य आरोपी चंपाराम ने अपनी स्कॉर्पियो से ओवरटेक कर वाहन रोक लिया।
इसी दौरान एक बाइक भी वहां मौजूद थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि स्कॉर्पियो और बाइक पर कुल पांच लोग सवार थे। तलवार और अन्य धारदार हथियारों से कारोबारी व उसके साथी हरलाल पर हमला बोल दिया। हमले में दोनों के हाथ-पैर काट दिए गए।
मृतक के शरीर पर घातक चोट नहीं मिली, लेकिन दोनों हाथों पर धारदार हथियार से छह गहरे वार किए गए। खून का रिसाव ज्यादा होने से शराब कारोबारी खेताराम की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने मृतक के चाचा सोनाराम की रिपोर्ट के आधार पर मुख्य आरोपी चंपाराम पुत्र लाखाराम, ओमप्रकाश पुत्र कुंभाराम, मांगीलाल पुत्र नींबाराम निवासी सरणु पणजी समेत पांच अन्य के खिलाफ हत्या समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपियों की तलाश की जा रही है। पुलिस ने मृतक का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम करवाया है।
सदर थाना क्षेत्र के सरणु के पास बुधवार रात हुई वारदात ने एक पूरे परिवार की खुशियां छीन ली। खेताराम, जो अपने पिता का इकलौता सहारा था, अब इस दुनिया में नहीं रहा। खेताराम की मौत की खबर ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया। बेटे की मौत की खबर मिलते ही मां-पिता का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
मां बार-बार विलाप करती रही और बेहोश होकर गिर पड़ी। पिता की आंखों से आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। घर के आंगन में गूंजती चीखें हर किसी को रुला गई। गांव के लोग कह रहे थे कि माता-पिता का सहारा छीन गया, अब कैसे जीएंगे ये।
खेताराम की तीनों बहनें चीख-चीखकर बेसुध हो गई। भाई ही उनका संबल था, वही राखी का असली रिश्ता निभाने वाला। हर किसी की जुबान पर यही था कि खेताराम ने हमेशा बहनों को संबल दिया, लेकिन अब उनकी दुनिया ही सूनी हो गई।
खेताराम की पत्नी की आंखों में गहरा दर्द साफ झलक रहा था। उसका संसार एक ही पल में उजड़ गया। बार-बार वही शब्द दोहराती रही कि मुझे अकेला क्यों छोड़ गए…। उसे समझाने वाले हर किसी की आंखें भी नम हो गई। रिश्तेदार महिलाएं ढांढस बंधाती रही, लेकिन उसका दर्द कोई कम न कर सका।
खेताराम की दो नन्ही बेटियां अभी इतनी मासूम हैं कि उन्हें यह समझ भी नहीं आया कि उनके पिता अब कभी लौटकर नहीं आएंगे। वे मासूमियत से बार-बार यही पूछती रही कि पापा कब आएंगे? यह सवाल सुनते ही हर किसी का दिल पिघल गया।
Published on:
19 Sept 2025 02:12 pm