3 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बुलडोज़र की गड़गड़ाहट में दहला पुराना शहर: 40 साल पुराने बारातघरों के साथ ही ध्वस्त हो गया रसूखदारों का गुरूर

पुराना शहर का सूफीटोला में जहाँ कभी शहनाइयाँ गूँजती थीं, बारातें गुजरती थीं और रौनकें बिखरी रहती थीं, लेकिन मंगलवार को चीखों, सिसकियों और बुलडोजर की गरज में डूब गया। ऐवान-ए-फ़रहत और गुड मैरिज हॉल, दो ऐसे बारातघर जो पिछले 40 वर्षों में हजारों परिवारों की खुशियों के गवाह बने थे, आज मलबे में बदल गए।

3 min read
Google source verification

बरेली। बीडीए और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ने बारादरी के सूफीटोला के रसूखदारों का गुरूर चकनाचूर कर दिया। जिन बारातघरों में कभी रौनकें सजती थीं, मंगलवार को वही इमारतें बुलडोज़र के पंजों तले मलबे में बदल गईं। ताकत के प्रतीक मानी जाने वाली इन इमारतों का ढहना एक दौर के अंत जैसा साबित हुआ।

पुराना शहर का सूफीटोला में जहाँ कभी शहनाइयाँ गूँजती थीं, बारातें गुजरती थीं और रौनकें बिखरी रहती थीं, लेकिन मंगलवार को चीखों, सिसकियों और बुलडोजर की गरज में डूब गया। ऐवान-ए-फ़रहत और गुड मैरिज हॉल, दो ऐसे बारातघर जो पिछले 40 वर्षों में हजारों परिवारों की खुशियों के गवाह बने थे, आज मलबे में बदल गए। ये महज़ अवैध निर्माण नहीं थे, ये लोगों की यादों के दरवाज़े थे। इन दीवारों ने दुल्हनों को विदा होते देखा था, परिवारों की खुशियाँ सँजोई थीं, और कई पीढ़ियों की स्मृतियों को संजोए रखा था, लेकिन मंगलवार का दिन उन स्मृतियों को बिखेर देने वाला साबित हुआ। सूरज की पहली किरण के साथ ही भारी मशीनों की आवाज़ें गलियों में उतरने लगीं। इलाके में पसरी खामोशी इस बात की गवाह बन गई कि यहां आज कुछ बड़ा होने वाला है। आजम खान के रिश्तेदार और मौलाना तौकीर के करीबी सरफराज वली खां का परिवार बेचैनी में डूबा खड़ा था। महिलाएँ बार-बार हाथ जोड़कर विनती करती रहीं, बस कुछ दिन और दे दो… रहम कर दो… लेकिन व्यवस्था किसी की मजबूरी नहीं सुनती।

https://youtube.com/shorts/VZm4x7kc6s8?feature=share

दोपहर होते-होते फूट पड़ा मातम, एसपी सिटी ने संभाला मोर्चा

जैसे ही आदेश बीडीए अधिकारियों तक पहुँचा, भारी पुलिस बल के साथ दो बुलडोजर मौके पर पहुँचे। महिलाओं ने रास्ता रोकने की कोशिश की, झुंड में चीखें उठीं, बच्चों के रोने की आवाज़ें वातावरण को और भारी कर गईं। स्थिति बिगड़ने लगी तो एसपी सिटी मानुष पारीक खुद मैदान में उतरे। भीड़ को संभाला, अफसरों को आगे बढ़ने का संकेत दिया और कुछ मिनट बाद बुलडोजर की नुकीली धार ने ऊँची-ऊँची दीवारों को चीरना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में वो बारातघर, जिनमें कभी रोशनियाँ जगमगाती थीं, धराशायी हो गए। बीडीए की टीमें 10 बजे ही पहुंच गईं थीं, लेकिन आदेश न आने के कारण कुछ दूर ही खड़ी रहीं। जब दोपहर करीब डेढ़ बजे ध्वस्तीकरण का आदेश आया तो टीम बुलडोजर के साथ मौके पर पहुंची। मामला गरमाने के बाद एसपी सिटी मानुष पारीक भी मौके पर पहुंच गए और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरु कराई। करीब साढ़े 5 बजे तक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई चलती रही, इस दौरान एसपी सिटी भी मौके पर मोर्चा संभाले रहे। दोनों बारातघर अभी 30 से 40 प्रतिशत ध्वस्त हुए हैं, अब बुधवार को कार्रवाई शुरु होगी।

ताकत की पहचान रहे बारातघर, आज बन गए मलबे का ढेर

ये वो जगहें थीं जहाँ, मिनी मुख्यमंत्री कहे जाने वाले आजम खान, परिवार के हर आयोजन में मौजूद होते थे। उनके रसूख का असर इतना था कि अफसरों के ट्रांसफर तक एक इशारे में हो जाया करते थे। लेकिन आज सरकारी एक्शन के आगे वही रसूख बेबस दिखाई दिया। बारातघरों के साथ एक दौर, एक अहमियत और एक परिवार का गौरव तक मलबे में बदल गया।

14 साल पुराना आदेश, आज मिला अमल

बीडीए रिकॉर्ड के अनुसार दोनों बारातघरों का निर्माण प्राधिकरण की स्वीकृति के बिना किया गया था।
मामले 2011 में दर्ज हुए, सुनवाई हुई और 12 अक्टूबर 2011 को ध्वस्तीकरण आदेश जारी कर दिए गए थे। लंबे इंतजार के बाद आज कार्रवाई पूरी की गई। अवर अभियंता संदीप कुमार, सीताराम, सुरेंद्र द्विवेदी, सहायक अभियंता धर्मवीर सिंह, विशेष कार्याधिकारी अजीत कुमार सिंह और संयुक्त सचिव दीपक कुमार सहित पूरी प्रवर्तन टीम मौजूद रही।


बड़ी खबरें

View All

बरेली

उत्तर प्रदेश

ट्रेंडिंग