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सेना की एनओसी नहीं, दो साल की प्लानिंग धड़ाम, 137 करोड़ का सेटेलाइट बस अड्डा प्रोजेक्ट ठप

शहर के सेटेलाइट बस अड्डे को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की महत्वाकांक्षी योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट को सेना की एनओसी न मिलने से बड़ा झटका लगा है।

बरेली। शहर के सेटेलाइट बस अड्डे को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की महत्वाकांक्षी योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट को सेना की एनओसी न मिलने से बड़ा झटका लगा है। अब परिवहन निगम ने इस योजना को संशोधित करते हुए केवल बस अड्डे के विस्तारीकरण की दिशा में कदम बढ़ाया है।

दो साल से लटकी विकास की फाइल

राज्य सरकार की आधुनिक बस अड्डा योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 23 प्रमुख बस अड्डों को पीपीपी मोड पर विकसित किया जाना था। इनमें बरेली का सेटेलाइट बस अड्डा भी शामिल था, जिसे 20,164 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 137 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक सुविधाओं के साथ तैयार किया जाना था। परियोजना के अंतर्गत बस अड्डे की छत पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, ऊपर की मंजिलों पर बैंक, कार्यालय, रेस्टोरेंट और मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था की जानी थी। लेकिन बस अड्डे का स्थान सैन्य क्षेत्र के करीब होने से कार्य शुरू करने के लिए आवश्यक एनओसी नहीं मिल पाई।

सेना ने नहीं दी सहमति, डिजाइन पर अड़चन

परिवहन निगम ने इस परियोजना के लिए सेना से एनओसी मांगी थी, लेकिन रक्षा मंत्रालय की ओर से अब तक कोई अनुमति नहीं दी गई। तीन माह पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मंडलायुक्त और परिवहन अधिकारियों से एनओसी के अभाव में डिजाइन संशोधित करने के निर्देश दिए थे, ताकि सैन्य आपत्तियों से बचा जा सके।

फर्म ने खींचे हाथ, संयुक्त आयुक्त ने भेजा प्रस्ताव

बस अड्डे के निर्माण की जिम्मेदारी जिस निजी फर्म को दी गई थी, उसने एनओसी न मिलने के कारण काम ठप कर दिया। इस पर संयुक्त आयुक्त ने परिवहन मुख्यालय को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि अब पीपीपी मॉडल पर कार्य संभव नहीं है, अतः परियोजना को “विस्तारीकरण मोड” में परिवर्तित कर बस अड्डे की मौजूदा सुविधाओं को उन्नत किया जाए।

रैंकिंग पर पड़ा असर

सेटेलाइट बस अड्डे का काम रुके रहने से सीएम डैशबोर्ड की विकास रैंकिंग पर भी असर पड़ा है। आरएम दीपक चौधरी ने बताया कि मंडलायुक्त की हालिया बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था। मुख्यालय को पत्र भेजकर अवगत कराया गया है कि एनओसी मिलने तक इस परियोजना को रैंकिंग में शामिल न किया जाए।

अब सिर्फ विस्तार से होगी व्यवस्था में सुधार

संयुक्त आयुक्त ने कहा कि एनओसी मिलने तक पीपीपी मॉडल पर निर्माण संभव नहीं। अब बस अड्डे के विस्तार और यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में काम होगा। नई योजना के तहत बस अड्डे में अतिरिक्त प्लेटफॉर्म, यात्री प्रतीक्षालय, पार्किंग स्पेस और टिकटिंग व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा। हालांकि इससे प्रोजेक्ट का ग्लैमरस चेहरा तो गायब हो गया, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि कम से कम बुनियादी सुविधाएं दुरुस्त होने से यात्रियों को राहत मिलेगी।