
Baran Govt Teacher Couple Case: बारां जिले के राजपुरा गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में सामने आया फर्जी स्टेपनी शिक्षक घोटाला अब बड़े स्तर पर कार्रवाई की ओर बढ़ रहा है। शिक्षा विभाग ने सरकारी राशि के गबन पर सख्ती दिखाते हुए आरोपी शिक्षक दंपती विष्णु गर्ग व मंजू गर्ग पर करीब 9 करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस जारी किया है। साथ ही विष्णु गर्ग का सेवानिवृत्ति आदेश भी निरस्त कर दिया गया है।


दरअसल 21 दिसंबर 2023 को स्कूल में छापेमारी के दौरान तीन स्टेपनी शिक्षकों को पढ़ाते हुए पकड़ा गया जबकि मूल रूप से नियुक्त शिक्षक दंपती कई वर्षों से स्कूल नहीं आ रहे थे और अपने स्थान पर प्राइवेट लोगों से पढ़ाई करवा रहे थे।
जांच में सामने आया कि विष्णु गर्ग ने वर्ष 1997-98 से 2023-24 तक कुल 84 लाख रुपए का वेतन प्राप्त किया, जिस पर 18 प्रतिशत ब्याज जोड़कर वसूली योग्य राशि 4.92 करोड़ रुपए तय की गई। वहीं, मंजू गर्ग को 1999-2000 से 2023-24 तक वेतन के रूप में 82.48 लाख रुपए मिले, जिस पर ब्याज सहित 4.38 करोड़ की वसूली योग्य राशि तय हुई। ऐसे में कुल राशि 9 करोड़ रुपए से ज्यादा वसूली योग्य राशि निर्धारित की गई।

वर्तमान में ससपेंड शिक्षका बीकानेर शिक्षा निदेशालय में निलंबन के बाद उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। 28 अगस्त 2025 को जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक सीताराम गोयल ने नोटिस जारी कर यह राशि जमा करवाने का आदेश दिया लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है।

विष्णु गर्ग ने कुछ माह पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन किया था, जिसे बाद में 1 जनवरी 2024 से स्वीकृत किया गया लेकिन विभागीय जांच लंबित होने के कारण अब यह आदेश रद्द कर दिया गया। साथ ही निलंबन के चलते नियमानुसार उनकी पेंशन और अन्य लाभों पर भी रोक लग गई है।

मामले के तुरंत बाद ही शिक्षा निदेशालय बीकानेर से संयुक्त निदेशक स्वयं राजपुरा गांव पहुंचे और स्कूल में बच्चों, ग्रामीणों, सीबीईओ, पीईईओ और अन्य कर्मचारियों के बयान भी लिया था साथ ही पूर्व में कार्यरत शिक्षिका से भी पूछताछ हुई थी। इस दौरान जांच में स्पष्ट प्रमाण मिले कि फर्जी शिक्षकों को पैसे देकर काम करवाया जा रहा था।

तीन पकड़े गए स्टेपनी शिक्षकों—विष्णु भारद्वाज, खुशबू मीणा और सुगना मीणा ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार किया कि विष्णु गर्ग और मंजू गर्ग उन्हें पढ़ाने के पैसे देते थे जबकि खुद कभी स्कूल नहीं आते थे। यह भी खुलासा हुआ कि ये लोग मिलते-जुलते नामों के जरिए उपस्थिति रजिस्टर में फर्जी एंट्री करवाते थे।
Published on:
17 Sept 2025 03:47 pm

