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शिक्षण संस्थानों में आवारा कुत्तों पर रोक लगाने के आदेश

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को हटाने से बच्चों में उनके प्रति नफरत पैदा होगी।

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Dog bite

प्रतीकात्मक तस्वीर

राज्य Karnataka के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीएसइल) की प्रधान सचिव वी. रश्मि महेश ने हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एक परिपत्र जारी कर स्कूलों और पीयू कॉलेजों के परिसर में आवारा कुत्तों Street Dogs की मौजूदगी रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। सभी संस्थानों को परिसर में मौजूद कुत्तों की संख्या स्थानीय नगर और ग्रामीण निकायों को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया है।

महीने में दो बार हो बैठक

परिपत्र में कहा गया है कि परिसर से कुत्तों को हटाने के बाद वहां चारदीवारी या फेंसिंग बनाई जाए, ताकि आवारा कुत्ते दोबारा अंदर प्रवेश न कर सकें। साथ ही प्रत्येक स्कूल और कॉलेज में प्रधानाध्यापक या वरिष्ठ शिक्षक को नोडल अधिकारी नियुक्त कर स्थानीय निकायों के साथ समन्वय करने को कहा गया है। अधिकारियों को हर 15 दिन में बैठक कर स्थिति की समीक्षा करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

नफरत पैदा होगी

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को हटाने से बच्चों में उनके प्रति नफरत पैदा होगी। बेंगलूरु के कार्यकर्ता अरुण ने कहा, जानवरों के प्रति करुणा दिखाना नागरिकों का मूल कर्तव्य है। स्कूलों में बच्चों को प्रकृति और पशु-पक्षियों की रक्षा के बारे में सिखाया जाना चाहिए, न कि उन्हें कुत्तों से दूर करना चाहिए। स्कूलों में बच्चों को काटने की कोई घटना नहीं हुई है।

अपील की तैयारी

अरुण ने बताया कि डेढ़ लाख से अधिक पशु कार्यकर्ता पहले ही इस फैसले के विरोध में मुख्य न्यायाधीश को लिख चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की तैयारी चल रही है। उन्होंने मांग की कि डीएसइल इस निर्देश को लागू न करे और परिपत्र को तुरंत वापस ले।