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Innovation : नौकरी नहीं कर की गुलाब की खेती, सालाना कमा रहे 30 लाख

युवा किसान युवराज ग्राम सोहतरा में ढाई एकड़ जमीन में पॉली हाउस के जरिए डच गुलाब की उन्नत खेती कर रहे हैं। प्रतिदिन 5,000 से अधिक गुलाब के फूलों का उत्पादन कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।

युवा किसान युवराज ग्राम सोहतरा में ढाई एकड़ जमीन में पॉली हाउस के जरिए डच गुलाब की उन्नत खेती कर रहे हैं। प्रतिदिन 5,000 से अधिक गुलाब के फूलों का उत्पादन कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।

बालोद जिले में कई किसान अब धान के बजाय फूलों की खेती पर भी ध्यान दे रहे हैं। फूलों की खेती लाभदायक और आकर्षक कृषि व्यवसाय है। फूलों का उत्पादन, रख-रखाव, विपणन और सजावट के लिए उपयोग होता है। गुरुर ब्लॉक के ग्राम सोहतरा में धमतरी के युवा किसान युवराज गेंड्रे ने गुलाब की खेती शुरू की तो खुद भी नहीं जानते थे कि यह निर्णय उनकी किस्मत बदल देगा। आज वे ढाई एकड़ जमीन में पॉली हाउस के जरिए डच गुलाब की उन्नत खेती कर रहे हैं। प्रतिदिन 5,000 से अधिक गुलाब के फूलों का उत्पादन कर लाखों रुपए कमा रहे हैं। उत्पादित गुलाब फूलों की मांग छत्तीसगढ़ के आलावा विशाखापटनम, ओडिशा तक है। उनकी सफलता ने जिले के अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित किया है कि कैसे पारंपरिक खेती से हटकर नवाचार और आधुनिक तकनीक अपनाकर कम समय में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

सालाना 28 से 30 लाख रुपए मुनाफा

युवराज की उम्र महज 28 साल है। उन्होंने कहा कि वे नौकरी नहीं करना चाहते थे। बिजनेस पर ध्यान दिया। दो साल पहले गुलाब की खेती करने की योजना बनाई और काम शुरू किया। गुरुर के सोहतरा स्थित अपने खेत में उन्होंने शासन से सब्सिडी लेकर गुलाब की खेती शुरू की। उन्होंने उद्यानिकी विभाग से सलाह ली और उन्होंने पॉली हाउस बनाकर फूलों की खेती करना शुरू किया।

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एक एकड़ में खेत तैयार करने में आता है 60 लाख खर्च

युवा किसान युवराज ने बताया कि एक एकड़ खेत तैयार करने पर लगभग 60 लाख रुपए की लागत आती है। ढाई एकड़ जमीन में गुलाब की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक बार गुलाब के पौधे लगाने पर सही देखभाल हो तो 5 से 6 साल तक वह पौधा फूल देता है। इस खेती के लिए नाबार्ड व शासन से भी 50 प्रतिशत सब्सिडी ली है।

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15 से 20 लोगों को मिल रहा रोजगार

उन्होंने बताया कि पॉली हाउस में डच रोज प्रजाति के गुलाब उगाए जा रहे हैं। पॉली हाउस में वर्षभर खेती की जा सकती है। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम, तापमान नियंत्रित करने के लिए फोगर सिस्टम एवं पौधों की देखभाल के लिए प्रशिक्षित माली की व्यवस्था की गई है। कमजोर कलियों को काटकर दो नई कलियों का विकास किया जाता है, जिससे फूलों की गुणवत्ता व उत्पादन दोनों बेहतर होता है। गुलाब की खेती में फूल तोडऩे एवं दवाई छिड़काव करने में इस खेती में 15 से 20 मजदूरों को नियमित रोजगार मिल रहा है।

गुलाब की मांग अधिक

युवा किसान बताते हैं कि गुलाब की मांग पूरे वर्ष बनी रहती है। सामान्य दिनों में एक गुलाब की कीमत 4 से 5 रुपए होती है, जबकि शादी-ब्याह और त्योहारों के सीजन में यही कीमत 15 से 20 रुपए तक पहुंच जाती है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत उन्हें पॉली हाउस निर्माण, ड्रिप सिस्टम और अन्य बुनियादी जरूरतों के लिए शासन की ओर से सहायता मिली। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने उन्हें उन्नत खेती की तकनीकी जानकारी दी, जिससे खेती व्यवस्थित और व्यावसायिक रूप ले सकी।