CG News: कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जिले के विभिन्न भागों में भ्रमण एवं निरीक्षण के दौरान धान की फसल में भूरा माहू का प्रकोप पाया। कृषक खेतों में धान की पुरानी किस्मों जैसे सरना आदि एवं निजी कंपनियों के अनुसंधान किस्मों के धान में कीट प्रकोप अधिक दिखा है। शीघ्र परिणाम प्राप्त करने के लिए जो पेस्टिसाइड सबसे आखिरी में प्रयोग करना चाहिए, वह सबसे पहले प्रयोग कर रहे हैं जिससे भूरा माहू की समस्या नियंत्रण होने के स्थान पर बढ़ रही है।
भूरा माहू पौधे के मुख्य तना से रस चूसकर पौधों को कमजोर करता है। धान के खेत के पानी कम करके 5-7 किलो पोटाश का बुरकाव करके पुन: पानी भरके निकास नाली 3-4 दिन बंद करके रखें। यूरिया का छिड़काव न करें। पाईमेट्रोजिन 50 डब्ल्यूजी 300 ग्राम या डाईनेट्राफयुरान 20 एसजी 200 ग्राम/ हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। धान में पत्तीमोड़क एवं झुलसा रोग का प्रकोप भी देखा जा रहा है। पत्तीमोड़क के लिए फिपरोनिल 5 एससी 800 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
झुलसा रोग के लिये नाटीवो 75 डब्लूजी/0.4 ग्रा./ली. या ट्राइसाइक्लाजोल कवकनाशी (जैसे-बीम या बान एवं अन्य समान उत्पाद) 6 ग्राम/10 ली. में से किसी भी एक रसायन का छिड़काव 12-15 दिन के अंतर से करें। सब्जियों में विशेषकर कुकुरबिटेसी कुल की सब्जियों में चूर्णिल आसिता का प्रकोप देखा जा रहा है। इसके नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से उपयोग करें। फलों में विशेषकर नींबू में कैंकर रोग का प्रकोप देखा जा रहा है, जिसके रोकथाम के लिए प्लांटोमाइसिन 0.5 ग्राम/लीटर से एवं कॉपर आक्सी क्लोराइड 2 ग्राम/लीटर की दर से उपयोग करें।
Published on:
20 Sept 2025 06:10 pm