Ballia News: बिजली करंट से मृतक दोनों सगी बहनों की अर्थी एक साथ घर से निकली। दो बेटियों का शव एक साथ निकली तो पूरा दृश्य सभी को झकझोर के रख दिया। चारों तरफ मातम पसरा था। वहीं मां और पिता दहाड़े मार करके रो रहे थे और चिल्ला रहे थे कि जिन बेटियों को हम डॉक्टर वैज्ञानिक बनने के सपने देख रहे हैं उन्हीं की अर्थी को कंधा देना पड़ रहा है। शव को मुखाग्नि देते वक्त पिता के हाथ कांपने लगे। गौरतलब है कि बजरहां गांव में स्कूल से लौटते समय सड़क पर जलभराव में करंट आ गया था जिसके चपेट में आने से दो बहनें अल्का और आँचल की मौत हो गई थी।
पोस्टमार्टम के बाद दोनों बहनों की लाश पैतृक गांव लाया गया। वहां से दोनों का शव चैनछपरा गंगा घाट पर ले जाया गया जहां पर पिता हरेराम के हाथ बेटियों को मुखाग्नि देते हुए कांपने लगा। मौजूद लोगों ने ढांढस बंधाया जिसके बाद दोनों की अंत्येष्टि हुई। पुलिस विभाग में हेड कांस्टेबल हरेराम वर्तमान समय में गोरखपुर में तैनात हैं। करीब एक दशक पहले उन्होंने जीराबस्ती गांव के केंद्रीय विद्यालय से कुछ दूरी पर मकान बनवाया था। इसका उदे्श्य बेटियों को बेहतर शिक्षा देना था। एक साथ घर में रहने के साथ ही दोनों बहने एक ही स्कूल में अलग-अलग कक्षा में पढ़तीं थी।
बुधवार को दोनों एक साथ घर लौट रही थी, लेकिन रास्ते में उनकी मौत इंतजार कर रही थी। बेटियों की मौत होने की जैसे ही जानकारी मिली वह देर शाम जिला अस्पताल के मर्चरी पर पहुंचे तो दोनों बेटियों की लाश देख फफक पड़े। गुरुवार को दोनों बहनों का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने लाश परिजनों को सौंप दिया। अल्का और आंचल की मां सुनीता तो पूरी तरह से बदहवास पड़ी हैं।
दो बेटियों की मौत से पिता हरेराम यादव और मां सुनीता बेसुध हैं। जीवन का सहारा ही छीन जाने से बिलख रहे मां-बाप को सांत्वना देने पहुंचने वालों का कलेजा भी उनके दुख को देखकर तार-तार हो जा रहा है। मां-बाप का सपना था कि बेटियों को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर और वैज्ञानिक बनाएंगे। उन्हें क्या पता था कि जिन बेटियों को नाजों से पाल रहे थे, उनकी एक साथ अर्थी उठानी पड़ेगी। विधाता के इस निर्णय ने सबको झकझोर दिया है।
आंचल और अल्का के पिता हरेराम यादव सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ थाने में में दीवान के पद पर तैनात हैं। बेटियों की पढ़ाई के लिए ही उन्होंने दो साल पहले मूल बजरहा से हटकर जीराबस्ती नई बस्ती में नया घर बनवाया था। हरेराम का सपना था कि बड़ी बेटी डॉक्टर और छोटी बेटी वैज्ञानिक बने। बुधवार को हाईटेंशन तार गिरने से करंट की चपेट में आई दोनों बहनों की मौत हो गई थी। दोनों स्कूल से पढ़कर घर लौट रही थीं। अपनी दोनों बेटियों को खो चुकी मां सुनीता गम में अपना सुध-बुध खो बैठी हैं। वह बार-बार विलाप करते हुए कहती रहीं- अब मैं कैसे जिऊंगी? मेरे जीने का सहारा दोनों बेटियां ही थीं।
Updated on:
26 Sept 2025 02:59 pm
Published on:
26 Sept 2025 10:19 am