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काउंटर से 95 मशीन से 80 रुपए में जबलपुर की टिकट

बालाघाट से जबलपुर जाने का कितना किराया, यात्री असमंजस में - यात्रियों का आरोप रेलवे कर रही ठगी

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अखिलेश ठाकुर बालाघाट. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की कार्यप्रणाली इन दिनों सवालों के कटघरे में है। अमृत भारत व गति शक्ति योजना के करोड़ों रुपए के कार्यों में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखने वाली रेलवे अब ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों की जेबे ढीली कर रही है। यात्रियों का आरोप है कि ऐसा कर उनके साथ ठगी किया जा रहा है।

उनकी माने तो वे इसकी शिकायत करें या यात्रा यह समझ में नहीं आ रहा। बालाघाट से जबलपुर जाने वाले एक यात्री से 15 रुपए अधिक किराया वसूले जाने के बाद यात्री ने ‘पत्रिका’ को यह बात बताई है।


यात्री अजय दुबे ने बताया कि वे शनिवार को 16367 काशी तमिल एक्सप्रेस टे्रन पकडऩे एक व्यक्ति के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचे। दोनों में एक ने टिकट काउंटर और दूसरे ने स्टेशन परिसर में संचालित वेंडिंग मशीन से ली। मशीन से 80 रुपए और काउंटर (टिकट खिडक़ी) से 95 रुपए में टिकट मिली।

इस पर जब सवाल किया गया तो काउंटर पर टिकट काटने वाली कर्मचारी ने बताया कि हमारे यहां से इतने में ही मिलेगा। कर्मचारी उनकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी। इससे निरूत्तर होने के बाद वे कुछ नहीं कर पाए। स्टेशन परिसर में उनको समझ में नहीं आया कि वे इसकी शिकायत कहां करें।

उन्होंने ‘पत्रिका’ को दोनों टिकट देने के बाद कहा कि रेलवे प्रति यात्री 15 रुपए अधिक लेकर ठग रही है। निरकुंश रेलवे के खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं है। आरोप लगाया कि रेलवे प्रतिदिन सैकड़ों यात्रियों से 15-15 रुपए की ठगी कर रही है।

इस संबंध में स्टेशन अधीक्षक कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि सुपर फास्ट ट्रेन में 15 रुपए अधिक किराया लगता है। लेकिन यात्री ने जिस ट्रेन से यात्रा की है वह एक्सप्रेस ट्रेन है। ऐसे में उससे 15 रुपए अधिक लिया गया है। वह पैसा कर्मचारी के जेब में नहीं गया है। इस संबंध में उससे पूछताछ की जाएगी।

कार्यों की गुणवत्ता ठीक नहीं, जांच की मांग

बालाघाट. बालाघाट में चल रहे अमृत भारत व गति शक्ति यूनिट के कार्यों की जांच दूसरी एजेंसी से कराए जाने की मांग तूल पकड़ रही है। लोगों ने बताया कि 10 करोड़ से निर्मित सरेखा अंडरब्रिज की दीवार सीपेज हो रही है। छत टपक रही है और सडक़ उखड़ गई है। अमृत भारत योजना से करीब 7.04 करोड़ रुपए से रेलवे स्टेशन पर हुए कार्य की गुणवत्ता सही नहीं है। टपक रहे वेटिंग हॉल की छत पर तिरपाल लगाया गया है। पोर्च व आसपास के सौंदर्यीकरण की गुणवत्ता की पोल बीते माह आई आंधी ने खोल दी थी। निर्माणधीन सुलभ शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है। सर्कुलेटिंग ऐरिया के फर्श पर लगे गट्टू की गुणवत्ता सही नहीं है। जिम्मेदार इसको गंभीरता से नहीं ले रहे, जिसका खामियाजा निर्माणदायी कंपनी के कार्य हैंडओवर किए जाने के बाद स्थानीय कर्मचारी और जनता को भुगतनी पड़ेगी। इसलिए समय रहते जांच कराने की मांग तूल पकड़ रही है।