
शहर के मोती तालाब में शुरू की गई बोटिंग व्यवस्था आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया साबित हो रही है। दरअसल मोती तालाब की रौनक बढ़ाने यहां 3 वर्षो से बंद पड़ी बोटिंग व्यवस्था को पुन: शुरू की गई है। ई टेंडर प्रणाली अपनाकर पिछले दिनों दिल्ली से 4 बोट करीब साढ़े 6 लाख की लागत से मंगवाई गई है। इस बोट का टेक्निकल टीम से निरीक्षण कराकर दीपावली के पूर्व 18 अक्टूबर से बोटिंग व्यवस्था शुरू कर दी गई है। लेकिन बोटिंग के शौकीनों की कमी से बोटिंग संचालन का खर्च अधिक हो रहा है, वहीं इनकम ना के बराबर हो रही है। जिसका भार सीधे-सीधे नगर पालिका को वहन करना पड़ रहा है।
मोती तालाब में बोटिंग की व्यवस्था बनाने के लिए भले ही साढ़े 6 लाख रुपए खर्च कर 04 बोट मंगाई गई हो, लेकिन वर्तमान समय में यहां महज 01 बोट का ही संचालन किया जा रहा है। अन्य 03 बोट उद्यान की शोभा बढ़ा रही है। एक बोट में टेक्निकल फाल्ट आने से उसे पानी में तक नहीं उतारा गया है।
जानकारों की माने तो मोती तालाब में बोटिंग के लिए गोताखोरों की कमी बनी हुई है। यहां महज एक गोताखोर नियुक्त है। इसलिए 01 बोट का ही संचालन किया जा रहा है। जबकि अन्य बोट शोभा की सुपारी साबित हो रही है। बताया जा रहा है कि जब तक 03 गोताखोर की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक अन्य 03 बोटो का संचालन भी नहीं किया जाएगा।
मोती उद्यान के तालाब में शौकीनों की कमी की कई वजह मानी जा रही है। एक वजह तीज त्यौहार का होना भी बताया जा रहा है। वर्तमान समय में दीपोत्सव के बाद मढ़ई मेलों का दौर प्रारंभ है। लोग अपने परिवार के साथ त्यौहार मनाने में व्यस्त है। इस कारण भी यहां नौका विहार के लिए लोग नहीं पहुंच रहे हैं। व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं होने को लेकर भी कमी का कारण बताया जा रहा है। सीधा असर नपा के राजस्व पर भी पड़ता नजर आ रहा है।
मोती उद्यान में महज 20 रुपए शुल्क में बोटिंग की व्यवस्था मिल रही है। इसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी नपा संभाल रही है। 4 बोट में से एक बोट में माइनर टेक्निकल फाल्ट आने से उसे पानी में नहीं उतारा गया है। गोताखोर की व्यवस्था, उनकी तन्खा, लाइफ जैकेट अन्य खर्च सभी नपा को करना है। ऐसे में यदि यहां बोटिंग करने वालों की तादाद में इजाफा नहीं होता तो स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है। बता दें कि इसके पूर्व यहां 6 बोट हुआ करती थी। जिनका सुचारू संचालन अन्य व्यवस्था व मेंटेनेंस की जिम्मेदारी नगर पालिका की थी। लेकिन बोट काफी पुरानी होने के चलते समय-समय पर उनका मेंटेनेंस नहीं हो सका था। इस कारण पूर्व की सभी बोट खराब होकर कबाड़ हो चुकी है।
वर्सन
शौकीनोंकी कम की वजह से सभी बोट नहीं चलाई जा रही होगी। शहरवासी इस व्यवस्था की मांग कर रहे थे। अब यह व्यवस्था नपाध्यक्ष ने अथक प्रयास कर शुरू करवा दी है। इसका पूरा लाभ शहरवासी उठा सकते हैं।
सूर्यप्रकाश उके, प्रभारी सीएमओ
Published on:
05 Nov 2025 11:27 am

