यूरिया खाद की कमी अब भी शासन प्रशासन और किसानों की गंभीर चिंता का कारण बनी हुई है। प्रशासनिक अधिकारी पर्याप्त मात्रा में यूरिया का स्टॉक होने की बात कहते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत बिल्कुल इसके उलट है। ताजा मामले जिले के लांजी क्षेत्र के तीन गांव साडरा, दिघोरी, कारंजा सहित अन्य ग्रामों से सामने आए हैं।
इन ग्रामों में यूरिया की किल्लत का पूरा फायदा बिचौलिए और दलाल उठा रहे हैं। किसानों को ऊंचे दाम में यूरिया विक्रय के साथ ही कुछ बिचौलिए व निजी केन्द्र संचालक यूरिया के साथ किसानों को लिक्विड भी थमा रहे हैं। बिना लिक्विड लिए यूरिया मिलने के कारण मजबूरन किसान भी अधिक दाम देकर यूरिया के साथ लिक्विड लेने मजबूर है। यह सब जिम्मेदारों के सामने हो रहा है, लेकिन कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जानकारी अनुसार तहसील क्षेत्र लांजी के साडरा, दिघोरी, कारंजा और अन्य ग्रामों में यूरिया की कालाबाजारी कर घरों से 500 से छह सौ रुपए में विक्रय किया जा रहा है। किसानों के अनुसार यूरियां की सरकारी कीमत 45 किलो की बोरी 242 और 50 किलों की 268 रुपए में दिया जाना चाहिए। लेकिन सोसायटी में यूरियां पहुंचने के दौरान कोचियों ने पहले स्टॉक कर लिया गया, अब जब किसानों को यूरियां की जरूरत है तो सोसायटी में यूरियां नहीं मिल रहा है, कोचिए कालाबाजारी करते हुए दोगुने व ऊंचे दाम में इसका विक्रय कर रहे हैं।
साडरा में यूरियां की बोरी लेकर जा रहे कुछ किसानों से प्रति बोरी का मूल्य पूछा गया, तो उन्होने चौकाने वाले जवाब दिए। बताया कि प्रत्येक बोरी के साथ उन्हें एक लिक्विड की बोतल भी जबरदस्ती थमाई जा रही है। लिक्विड नहीं लेने पर किसान को यूरिया नहीं मिलता। यूरिया अधिक दाम पर बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि जिला मुख्यालय में बैठे बड़े एजेंटों से यूरिया की आपूर्ति उन्हें लिक्विड बेचने की शर्त पर ही की जा रही है। उनके लिए भी यूरिया के साथ लिक्विड बेचना मजबूरी है।
किसानों के अनुसार धान के लिए यूरिया सबसे बड़ी जरूरत होती है। पिछले कुछ दशकों से खेती पूर्ण रूप से यूरिया खाद पर निर्भर हो गई है। यूरिया ऐसी खाद है, जो किसी भी किस्म की फसल की उर्वरक उत्पादन क्षमता बढ़ाती है। कारंजा के किसान मेहतलाल महारवाड़े के अनुसार भले ही शासन प्रशासन ऑरगेनिक फसलों पर जोर देती हो, लेकिन कड़वी सच्चाई ये है कि जमीनें अब उतनी ताकतवर नहीं रहीं, जो बिना यूरिया के फसलें उगा सकें। खेतों में इस समय धान की फ सल लगी है, उसमें यूरिया नहीं डलने से फसल मुरझाने लगी हैं।
वर्सन
क्षेत्र में कृषि केंद्र संचालकों द्वारा अगर किसानों को ज्यादा मूल्य पर यूरिया बेची जा रही है, इसकी जांच फूड अधिकारी से कराई जाएगी। हम कृषि केंद्र संचालकों के दुकानों के रजिस्टर की भी जांच करेंगे, किस किसान को कितना यूरिया दिया गया है, उसका उल्लेख होता है। जांच में जो भी संचालक दोषी पाया जाता है, उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा।
खुदीराम सनोडिया, एसडीओ कृषि विभाग लांजी
Published on:
12 Sept 2025 05:14 pm