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जिले से बाहर राज्यों में पलायन ला रहा एचआईवी

एक साल में सामने आए 98 नए पॉजीटिव मरीज हर साल बढ़ रहा एचआईवी पॉजीटिव का ग्राफ 2014 से 2025 तक सामने आए 14 पॉजीटिव वर्तमान में 1100 एक्टिव मरीज करवा रहे उपचार

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एक साल में सामने आए 98 नए पॉजीटिव मरीज

एक साल में सामने आए 98 नए पॉजीटिव मरीज

जिले में हावी होती पाश्चात्य संस्कृति और बड़ी संख्या में पलायन से जिले को एड्स नामक कलंक लग रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो रही है कि पिछले एक वर्ष में 98 नए पॉजीटिव मरीज सामने आए हैं।
स्वास्थ्य महकमें के अनुसार जिले में पिछले वर्षो की तुलना में पाजीटिव मरीजों के आंकडों में कमी आ रही है। लेकिन इस बीमारी से हुई मौत के आंकड़े तमाम प्रयासों पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार करीब एक सैकड़ा मरीजों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। हालाकि विभागीय जानकारी के अनुसार सभी मृत मरीजों ने अपनी पूर्ण आयु जीने के बाद मौत हुई है।

11 सौ मरीज करवा रहे उपचार

जानकारी के अनुसार एचआईवी रिपोर्ट और पीडि़तों की संख्या के मामले में सरकारी और गैर सरकारी संगठन खुलकर आकड़ें नहीं बताते हैं। स्वास्थ्य विभाग के एआरटी सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में वर्ष 2014 से 2025 तक 1400 पॉजीटिव मरीज सामने आए। वहीं 2024-25 में फिर 98 नए पाजीटिव मरीज चिन्हित किए गए। आंकड़ा बढकऱ 1498 हो गया है। वर्तमान में करीब 11 सौ मरीज अपना उपचार एआरटी सेंटर से करवा रहे हैं।

सर्वाधिक युवा हो रहे ग्रसित

स्वास्थ्य विभाग से जुड़े जानकारों के अनुसार जिले में एचआईवी के आगोश में अधिकांश 21 वर्ष के नवयुवकों से लेकर 40 वर्ष तक व्यक्ति शामिल हैं। मरीजों की संख्या अधिक होने का कारण छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों को भी माना जा रहा है। यहां लोग काम की तलाश में जाकर दूसरों से यौन संबंध बना लेते हैं। इसी के चलते यह रोग बढ़ा है।

पलायन को माना जा रहा कारण

जानकार इस बीमारी के लिए प्रतिवर्ष काम की तालाश में होने वाले पलायन और आधुनिकता की दौड़ में जानकारी के आभाव को मानते हंै। जिले में दर्जन भर से अधिक एनजीओ एचआईवी जागरूकता पर काम कर रहे हैं। एनजीओं लगातार यह दावा करते हैं कि इनके द्वारा आम आदमी को इस भयावक बीमारी के बारे में जानकारी दी जाती हैं। बावजूद इसके मरीजों की बढ़ रही संख्या मैदानी स्तर पर हो रहे खर्च और काम दोनों ही हकीकत को बयां कर रही है। जानकारों के अनुसार शासन, प्रशासन को और अधिक प्रयासों की जरूरत है। नहीं तो जिला एड्स के मामले में अव्वल दर्जे में गिना जाने लगेगा।
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विशेषज्ञों के मत
एआरटी सेंटर की रजनी राहंगडाले के अनुसार एचआईवी होने पर मरीजों को सरकारी अस्पताल से दवाई नि:शुल्क मिलती है। दवाई का लगातार सेवन से शरीर में प्रतिरोधात्मक क्षमता बनी रहती है। बीच में दवाई बंद करने से प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होने पर मरीज की मौत तक हो सकती है। एचआईवी की रोकथाम के लिए कोई टीका या दवा नहीं बनी है। दवा लेकर पीडि़त मनुष्य सामान्य जीवन जी सकता है।
फैक्ट फाइल:-
:- 2010 से 21 तक सामने आए मरीज- 945
:- 2022 में चिन्हित किए गए नए मरीज- 86
:- 2023 में चिन्हित कुल एक्टिव मरीज- 1138
:- 2023-24 में बढकऱ हुआ आंकड़ा- 1227
:- 2024-25 तक कुल एक्टिव मरीज- 1400

:- एचआईवी से अब तक हुई मौत- 100 अनुमानित