
विष्णु यज्ञ की पवित्र भूमि ग्राम जराहमोहगांव के राधाकृष्ण मंदिर के समक्ष इस वर्ष भी पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया जा रहा है। सार्वजनिक श्रीकृष्ण मेला समिति के तत्वाधान में यहां 05 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा की रात 8 बजे टिपुर (दीपक) जलने के साथ कार्तिक पूर्णिमा मेले का आगाज होगा। बताया गया कि जिले के प्रसिद्ध मेलों में सुमार इस भव्य मेले में जिले के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों से भी लाखों लोग पहुंचते है। इनके मनोरंजन के लिए आयोजन समिति ने पांच दिनों तक विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी रखा है।
कटंगी क्षेत्र से 15 किमी दूर ग्राम जराहमोहगांव के सलिला चंद्रभागा तट पर महाविष्णु यज्ञ की पावन धरा पर भगवान राधा-कृष्ण का मंदिर विद्मान है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान ने स्वयं करवाया है। वर्षो से यहां कार्तिक पूर्णिमा मेला भरवाया जाता है। आस-पास के दर्जन भर गांव के लोग यहां पर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। कारण यहीं कि यह मंदिर लोगों की आस्था और मेले में पहुंचने वालों के लिए प्रमुख आकर्षण का केन्द्र रहता है।
प्राचीन मान्यता है कि करीब 500 साल पहले लालबर्रा रामजी टोला के निर्धन व्यक्ति बंग महाजन पंचेश्वर को भगवान ने स्वप्न में आकर मंदिर बनवाने कहा था। इस दौरान बंग महाजन ने निर्धनता की स्थिति बयां की थी। तब उसे भगवान ने मंदिर का निर्माण शुरू करने और धन की चिंता नहीं करने की बात कही थी। इस बात को बंग महाजन गांव के मालगुजार और धनाड्य लोगों से सांझा की। जिन्होंने पहले तो हंसी उड़ाते हुए सहयोग नहीं किया। लेकिन बाद में एक मालगुजार ने मंदिर बनाने अपनी जमींन उपलब्ध कराई। तब भगवान ने पुन: स्वप्न में आकर मजदूरी और निर्माण सामग्री के भुगतान के लिए बंग महाजन को अपने घर में एक हांडी में धन गड़ा होने की जानकारी दी। घर में खुदाई के दौरान धन मिला और भगवान का मंदिर बनकर तैयार किया गया। इसी गांव में निर्माणकर्ता भक्त का भी एक मंदिर बनाया गया है। दोनों मंदिर के बीच एक कुंआ बना हुआ है। माना जाता है कि मंदिर निर्माण के बाद बचा हुआ धन बंग महाजन ने इसी कुएं में डाल दिया था। गांव के लोगों का मानना है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण की मुरली की धुन ग्राम वासियों को सुनाई देती है। इन्हीं सब क्विंदियों और कथाओं को सुनने लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचा करते हैं।
आयोजन समिति के अनुसार 5 नवंबर को कथा पूजन टिपुर उत्सव के साथ रात्रि में श्रीकृष्णा रामायण मंडल के का भजन कीर्तन किया जाएगा। 6 नवंबर को छत्तीसगढ़ी कार्यक्रम तोर तिरछी नजरिया के जादू खैरागढ़ के 35 कलाकारों का कार्यक्रम रखा गया है। 7 नवंबर को अभा हास्य कवि सम्मेलन, 8 नवंबर को दिन में आम दंगल कुश्ती व रात्रि में दुय्यम महिला शायरी का आयोजन रखा गया है। मेले के अंतिम दिन 9 नवंबर को राजनांदगांव छत्तीसगढ़ के कबीरधाम का छत्तीसगढ़ी कार्यक्रम रखा गया है। यहां के 35 कलाकार जराहमोहगांव के प्रांगण में प्रस्तुति देंगे। अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की अपील की गई है।
Published on:
05 Nov 2025 11:24 am

