कोटपूतली. जिले को अस्तित्व में आए दो साल होने के बावजूद जिला स्तरीय सारे काम अब तक नवसृजित जिला मुख्यालय से नहीं हो रहे। जिले को विभागवार लक्ष्य तो मिल रहे हैं लेकिन जिले को अपना काम दिखाने के लिए कई विभागों में पुराने जिलों से ही आंकड़े उठाने पड़ रहे हैं। आंकड़ों में जिला तरक्की करता नजर आ रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर संसाधन और स्टाफ का मोहताज है। इसके चलते कामकाज गति नहीं पकड़ पा रहा। प्रशासन में जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक कार्यालय अधिसूचना जारी होने के बाद सृतिज हो गए। इनमें कई अधिकारियों के पद रिक्त है और स्टाफ की कमी है। भवन की कमी होने से अलग अलग स्थानों पर कार्यालय चल रहे है। शिक्षा विभाग की भी यहीं स्थिति है। इसमें अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी के सभी पद रिक्त है। माध्यमिक व प्राराम्भिक शिक्षा के कार्यालय अलग अलग अलग स्थानों पर संचालित है। जिला कलक्टर कार्यालय भी नगर परिषद से दूसरे भवन में स्थानांतरित किया गया है। हालात ऐसे हैं कि दो साल पहले तय की गई सरहदों पर जिले का वजूद दर्शाने वाले बोर्ड तक नहीं लग सके हैं। जिले के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए फिलहाल कोई समयबद्ध व प्रभावी कार्य योजना नजर नहीं आ रही। कई विभागों की जनकल्याणकारी योजनाओं की फाइलें यहां-वहां जाती रहती हैं। ग्रामीण प्रशासन में अब तक पुराने जिलों के नाम से ही काम चल रहा है।
जिला परिषद का नहीं हुआ गठन
नवसृजित जिले में जिला परिषद कार्यालय शुरू किया जाकर अतिरिक्त कार्यकारी अधिकारी के पद पर नियुक्ति हुई थी। लेकिन नए जिले के अनुसार जिला परिषद के वार्डों का गठन नहीं हुआ है। इसलिए पंचायत समिति के अधिकतर कार्य अभी पुराने जिले से हो रहे है। जिला परिषद का गठन नहीं होने से जिलेभर में पंचायत राज के काम व विकास योजनाएं गति नहीं पकड़ रही। ऐसे में जिला परिषद के चुनाव होने का इंतजार है।
Published on:
18 Sept 2025 05:48 pm