
अंबिकापुर। बलरामपुर के दहेजवार चौक स्थित धनंजय ज्वेलर्स में चोरी के एक आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। परिजनों ने पुलिस की पिटाई से उसकी मौत (Custodial death case) का आरोप लगाते हुए शव लेने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि शव का पीएम दोबारा कराया जाए। दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज की जाए तथा उन्हें 1 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए। इस मामले को लेकर मृतक के परिजन पूर्व मंत्री अमरजीत भगत के साथ आईजी से मिलने पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपनी 3 मांगें रखीं। इस पर आईजी ने कहा कि मामले की न्यायिक जांच हो रही है। पुलिसकर्मियों पर जांच के बाद कार्रवाई होगी।
गौरतलब है कि 30 अक्टूबर की रात बलरामपुर जिले के धनंजय ज्वेलर्स में हुई चोरी के मामले में 8 आरोपियों व खरीदार को गिरफ्तार कर पुलिस ने 9 नवंबर को जेल भेज दिया है। जबकि एक आरोपी उमेश सिंह की पुलिस हिरासत (Custodial death case) में उस वक्त मौत हो गई, जब पुलिस उसकी निशानदेही पर चोरी के गहने बरामद कर बलरामपुर लौट रही थी।
पुलिस का कहना था कि सिकलसेल बीमारी की वजह से उमेश की मौत (Custodial death case) हुई है, जबकि परिजन ने पुलिस की पिटाई से उसकी मौत का आरोप लगाया है। मृतक उमेश का पीएम बलरामपुर अस्पताल में कराया गया, लेकिन परिजन ने शव लेने से इनकार कर दिया।
उनका कहना था कि शव का दोबारा पीएम कराया जाए और दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज की जाए। बताया जा रहा है कि 10 नवंबर की सुबह 10 बजे पुलिस अस्पताल से शव को एंबुलेंस में लेकर निकल गई, जब परिजन पीछे आने लगे तो पुलिस ने उन्हें अस्पताल में बंद कर दिया था।
परिजनों का कहना था कि पुलिस द्वारा शव को गांव भिजवाने (Custodial death case) की बात कही जा रही थी, जब हमने कहा कि हम सब यहां हैं तो शव वहां कौन लेगा? इस बात और पुलिस पर एफआईआर करने को लेकर परिजन थाने के सामने प्रदर्शन करने लगे। इस पर पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया था।

मंगलवार की दोपहर मृतक उमेश के परिजन पूर्व मंत्री अमरजीत भगत की अगुवाई में आईजी दीपक झा से मिलने अंबिकापुर कार्यालय पहुंचे। यहां पूर्व मंत्री ने परिजन (Custodial death case) की तरफ से बात रखी। उन्होंने कहा कि परिजनों द्वारा अंबिकापुर व सीतापुर के डॉक्टरों से उनके सामने शव का दोबारा पीएम कराने, दोषी पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने तथा 1 करोड़ रुपए का मुआवजा देने की मांग की गई है।

इस मामले में पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि आईजी ने इस मामले में न्यायिक जांच प्रक्रिया में होने की बात कही है। जबकि परिजन बलरामपुर या रामानुजगंज में अपना बयान (Custodial death case) दर्ज कराने नहीं जाना चाहते। उनकी मांग है कि मजिस्ट्रेट अंबिकापुर आकर उनका बयान दर्ज करें। उन्होंने कहा कि मामला काफी संवेदनशील है। मजिस्ट्रेट द्वारा उनकी ये मांग मानी जाती है या नहीं, यह उनके ऊपर है।
मामले में आईजी दीपक झा का कहना है कि मृतक के परिजन (Custodial death case) आए थे। मांग का उल्लेख करते हुए आवेदन दिया है। हमने कहा कि वर्तमान न्यायिक जांच हो रही है। उनके माध्यम से ही नियमत: होगा। जहां तक पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की बात है तो हम जांच के बाद करेंगे।
हमने उन्हें कहा है कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास जाकर अपनी बात रखें। बॉडी हमने बलरामपुर जिले में ही सुरक्षित मरच्यूरी में रखवाया है। परिजनों से कहा गया है कि बॉडी को 72 घंटे से ज्यादा हो गए हैं, उसका आप अंतिम संस्कार करें।
Updated on:
11 Nov 2025 05:05 pm
Published on:
11 Nov 2025 05:04 pm

