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फायर ड्रिल नहीं तो कहीं पर अग्निशमन यंत्र और भवन जर्जर- क्या सुरक्षित हैं हमारे मरीज

अस्पतालों में आग से सुरक्षा के लिए सिस्टम पूरी तरह नहीं तैयार, यह बता रही ग्राउंड रिपोर्ट -धरती के भगवान भी दहशत में कर रहे काम

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अलवर. प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर जयपुर में रविवार रात हुई आग की घटना ने सोमवार को सभी को झकझोर दिया, क्योंकि यह एक हादसा ही नहीं, बल्कि पूरी चिकित्सा व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है। इस घटना के बाद सभी अस्पतालों का चिकित्सा प्रशासन भी सकते में आ गया। अलवर जिले में भी सैकड़ों सरकारी सीएचसी व पीएचसी के अलावा उप स्वाथ्य केन्द्र हैं। ट्राॅमा सेंटर भी है, लेकिन आग लगने के दौरान यहां भी बुझाने के पर्याप्त संसाधन नहीं है। किसी के पास आधे-अधूरे इंतजाम है। जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर में आग की घटना के बाद पत्रिका टीम ने जिले के चिकित्सा केन्द्रों के हालात जाने तो सुरक्षा व्यवस्था का समग्र चित्र कुछ इसी तरह के पाए। यहां सुरक्षा की पोल खुल गई। अस्पतालों की बिल्डिंग, बिजली व्यवस्था, ऑक्सीजन लाइन, फायर सिस्टम और सुरक्षा प्रोटोकॉल की वास्तविक स्थिति सही नहीं पाई। कहीं फायर ड्रिल नहीं तो कहीं अग्निशमन यंत्र व भवन जर्जर पाए। कहीं पर्याप्त नहीं। ऐसे में क्या सुरक्षित हैं हमारे मरीज... पढ़े यह रिपोर्ट।

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राजगढ़ सीएचसी में आग बुझाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं

राजगढ़. कस्बे के सीएचसी में आग बुझाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। चिकित्सालय में मेडिकल, सर्जिकल वार्ड एवं एमओटी के लिए एकमात्र अग्निशमन यंत्र लगा देखा गया, जो अग्नि हादसा होने पर एक अग्निशमन यंत्र नाकाफी है। कई स्थानों पर बिजली की लाइन के तार बाहर निकले हुए दिखाई दिए। कोई अलार्म की व्यवस्था नहीं है। महिला चिकित्सालय के पीएनसी वार्ड, एनबीएसयू सहित अन्य वार्डों के लिए चिकित्सालय की गैलरी में एकमात्र अग्निशमन यंत्र लगा देखा गया। हालांकि विगत वर्षों में चिकित्सालय में कोई अग्नि हादसा नहीं हुआ है। चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डॉ. आरसी मीना का कहना है कि सीएचसी भवन करीब 70 वर्ष पुराना है। सर्जिकल, मेडिकल वार्ड व एमओटी को ट्रॉमा सेन्टर के निर्माण को देखते हुए कन्डम घोषित किया है। बिजली की लाइन अण्डरग्राउण्ड है। ऑक्सीजन प्लान्ट, दो वार्ड व एमओटी आदि स्थानों पर अग्निशमन यंत्र लगे हुए है। अग्निशमन यंत्र दो माह पहले के है। चिकित्सालय में अलार्म की व्यवस्था नहीं है। अग्नि हादसा होने पर अग्निशमन गाड़ी को बुलाकर आग पर काबू पाया जा सकता है। चिकित्सालय में लाइट जाने पर इन्वर्टर व जनरेटर की व्यवस्था है।

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मालाखेड़ा अस्पताल फायर एनओसी ऑनलाइन नहीं हो पा रहीमालाखेड़ा. कस्बे का सीएचसी खुद बीमार है। 7 माह पहले भवन को जर्जर घोषित भी किया जा चुका है। इसमें केवल नई लैब, वार्ड, ऑक्सीजन हाउस और क्वार्टर ही उपयोगी है। भवन में जगह-जगह सीलन आ रही है। अस्पताल में फायर सेफ्टी, अलार्म एवं स्मॉक डिटेक्टर उपलब्ध है, जबकि फायर एनओसी नहीं ली गई। बीसीएमएचओ डॉ. लोकेश मीणा ने बताया कि मालाखेड़ा नगर पालिका अभी बनी है। जिसके कारण फायर एनओसी ऑनलाइन नहीं हो पा रही है। अस्पताल भवन जर्जर हो गया है। जिसकी सूचना हमने जिला कलक्टर को दे दी है। आग बुझाने के समुचित प्रबंध भी नहीं है।

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लक्ष्मणगढ़ अस्पताल में फायर अलार्म व स्मॉक डिटेक्टर नहीं

लक्ष्मणगढ़. कस्बे के सीएचसी में आग लगने की स्थिति में आग बुझाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन भवन की स्थिति नाजुक है। उपखण्ड क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल में 12 अग्निशमन यंत्र चालू हालत में है। पूर्व में अस्पताल में 6 अग्निशमन यंत्र थे। दो माह पहले ही अस्पताल प्रभारी ने 6 नए अग्निशमन यंत्र खरीदे हैं। ये अस्पताल में परिसर में अलग-अलग जगहों पर लगे हुए हैं। पुराने अग्निशमन यंत्र की दो माह पहले ही रिफलिंग कराई है। अस्पताल में फायर अलार्म व स्मॉक डिटेक्टर नहीं है। ऐसे में आग लगने की स्थिति में सूचना देना संभव नहीं होगा। अस्पताल के पास फायर एनओसी नहीं है। अस्पताल प्रभारी ने बताया कि फायर एनओसी के लिए पालिका को कई बार पत्र लिख चुके। अस्पताल में 4 फायर एग्जिट है, जो चालू हालत में है। अस्पताल में फायर सेफ्टी संकेत नहीं है। अस्पताल की दीवारों से चुना झड़ रहा तो कही छतों का प्लास्टर गिर रहा है। अस्पताल परिसर की हालत दयनीय है।

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कठूमर अस्पताल में बिजली फिटिंग पुरानी, शार्ट-सर्किट की आशंकाकठूमर. सीएचसी को आदर्श अस्पताल घोषित किया जा चुका है, लेकिन 50 साल से ज्यादा पुरानी बिल्डिंग में ही संचालित है। छत से प्लास्टर गिरता है। बचाव के लिए बल्लियों का सहारा लिया हुआ है, ताकि छत टिकी रहे। एक्स-रे रूम की हालात खराब है। कर्मचारी इस जीर्ण-शीर्ण भवन में भय के साए में काम कर रहे हैं। आग बुझाने की विशेष व्यवस्था तो नहीं लेकिन छोटे-बड़े 15 आक्सीजन सिलेंडर है। हालांकि सीएचसी के लिए ये पर्याप्त बताए जाते हैं। बिजली फिटिंग पुरानी है। अस्पताल में चूहे भी हैं। ऐसे में शार्ट-सर्किट की आशंका रहती है। अस्पताल सूत्रों के अनुसार जयपुर की एक फर्म ने अस्पताल में बिजली के खराब तारों को बदलने व अन्य आवश्यक बदलाव का काम शुरू कर दिया है।

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पिनान आदर्श सीएचसी के वार्डों में ऑक्सीजन गैस पाइपलाइन सिस्टम नहींपिनान. पिनान आदर्श सीएचसी पर आग की घटना से निपटने के लिए करीब एक दर्जन अग्निशमन यंत्र लगाए हुए हैं। इन यंत्रों को फायर ड्रिल करने का अनुभव भी सभी कर्मचारी प्राप्त है, लेकिन आपातकालीन सुविधाओं का अभाव है। मेडिसिन व सर्जरी कनिष्ठ विशेषज्ञ की आज तक नियुक्ति नहीं हो पाई। वार्डों में ऑक्सीजन गैस पाइपलाइन सिस्टम नहीं है। महिला चिकित्सक भी नहीं है। डिलेवरी के लिए अन्यत्र जाना पड़ता है। ट्राॅमा सेंटर पिनान में स्वीकृत होने के बाद भी निर्माण कार्य में देरी हो रही है। जिसके अभाव में गंभीर मरीजों को हायर सेन्टर जाना पड़ रहा है।

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