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भूजल विधेयक बना, लेकिन अलवर में धड़ल्ले से हो रहे अवैध बोरिंग

जल संकट किसी से छिपा नहीं है, लेकिन जमीन से लगातार पानी निकाला जा रहा है। अलवर शहर में दर्जनभर मार्गों पर चल रहे निर्माणाधीन भवनों में बिना मंजूरी के बोरिंग कर लिए गए।

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जल संकट किसी से छिपा नहीं है, लेकिन जमीन से लगातार पानी निकाला जा रहा है। अलवर शहर में दर्जनभर मार्गों पर चल रहे निर्माणाधीन भवनों में बिना मंजूरी के बोरिंग कर लिए गए। सरकार ने हाल ही में कानून पास किया है। इसका पालन करने के लिए अफसरों को शहरी एरिया में जाकर भ्रमण करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। हालांकि नियम पहले भी बने हुए हैं कि बिना मंजूरी के बोरिंग नहीं की जा सकती।

अलवर रेलवे स्टेशन से नेहरू उद्यान मार्ग पर निर्माण चल रहा है। यहां एक ही होटल में कई बोरिंग कुछ समय पहले किए गए थे। किसी की भी एनओसी नहीं है। इसके अलावा बैंक कॉलोनी एरिया में भी भवन निर्माणाधीन हैं। वहां भी बोरिंग हुए हैं। नंगली सर्किल से चारों ओर 200 मीटर के दायरे में चार बड़े कॉमर्शियल भवन चल रहे हैं।

वहां भी बोरिंग बिना अनुमति के कर लिए गए। गौरव पथ पर तीन बड़े निर्माण में भूमिगत जल प्रयोग किया जा रहा है। बिजलीघर से रेलवे स्टेशन मार्ग, होप सर्कस के पास, भगत सिंह से 200 फीट मार्ग, जेल सर्किल के पास चल रहे भवन निर्माण में भूमिगत जल बोरिंग से निकालकर प्रयोग कर रहे हैं।

ये है नियम

डार्क जोन में आए जिला में बोरिंग की अनुमति प्रशासन व केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के जरिए मिलती है, लेकिन इसके लिए आवेदन किसी ने नहीं किए। बिना मंजूरी के बोरिंग करने पर 6 माह की जेल व 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन इसका पालन नहीं हो पा रहा है।

राजस्थान में भूजल को बचाने और प्रबंधन करने के लिए भूजल (संरक्षण और प्रबंधन) प्राधिकरण विधेयक 2025 पारित किया गया है, जो अब नए पानी (ग्राउंडवाटर) निकालने पर शुल्क लगेगा। ट्यूबवेल के लिए अनुमति जरूरी है। खासकर डार्क जोन में। उल्लंघन करने पर 50 हजार जुर्माना या 6 महीने की जेल हो सकती है। राज्य में पानी की बर्बादी को रोकने के लिए भी नियम बनाए गए हैं, जिससे घरेलू कनेक्शन का व्यावसायिक इस्तेमाल करने या पानी व्यर्थ बहाने पर जुर्माना लगेगा।