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Ajmer News: राजस्थान के इस आर्मी कैंट एरिया में मकान खुद का पर मालिकाना हक भारत सरकार का, 50 हजार की आबादी पर संकट, जानें कारण

नसीराबाद छावनी क्षेत्र में रजिस्ट्री का पहिया पिछले एक दशक से थमा हुआ है। मकान और भूखंड की खरीद-फरोख्त महज स्टाम्प एग्रीमेंट तक सिमट गई है, जबकि लोग फाइलें लेकर तहसील और छावनी परिषद के बीच चक्कर काटने को मजबूर हैं।

नसीराबाद छावनी क्षेत्र, पत्रिका फोटो

Army Cantonment Area Nasirabad: नसीराबाद छावनी क्षेत्र में रजिस्ट्री का पहिया पिछले एक दशक से थमा हुआ है। मकान और भूखंड की खरीद-फरोख्त महज स्टाम्प एग्रीमेंट तक सिमट गई है, जबकि लोग फाइलें लेकर तहसील और छावनी परिषद के बीच चक्कर काटने को मजबूर हैं। रक्षा मंत्रालय के अधीन होने से नियम-कायदे अलग हैं, लेकिन अनापत्ति प्रमाण-पत्र और जीएलआर रिकॉर्ड की उलझनों ने करीब 50 हजार की आबादी को दस्तावेजी संकट में डाल दिया है।

नसीराबाद छावनी क्षेत्र रक्षा मंत्रालय के अधीन आता है, इसलिए यहां सामान्य रजिस्ट्री प्रणाली लागू नहीं होती। यहां भूमि स्वामित्व लीज और जनरल लैंड रजिस्टर (जीएलआर) रिकॉर्ड के आधार पर तय होता है। किसी भी रजिस्ट्री से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार छावनी परिषद से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। इसके अभाव में तहसील किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री स्वीकृत नहीं कर सकती।

नामांकन सही नहीं होने पर अटक रही फाइलें

छावनी परिषद के अनुसार, जब तक जीएलआर रिकॉर्ड, वास्तविक भूमि नाप और भूतपूर्व क्रय-विक्रय के आधार पर नामांकन में समानता प्रमाणित नहीं होती, तब तक फाइल स्वीकृत नहीं की जा सकती। परिषद की ओर से सभी दस्तावेजों की जांच कर उन्हें तहसील को अग्रेषित किया जाता है।

बिना एनओसी रजिस्ट्री पर रोक

एक आरटीआइ के जवाब में छावनी परिषद नसीराबाद ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत बिना रक्षा संपदा अधिकारी और छावनी बोर्ड की पूर्व अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) के रक्षा भूमि पर किसी भी प्रकार की बिक्री, पट्टा या हस्तांतरण विलेख का पंजीकरण निषिद्ध है। वहीं, बरसों से जीएलआर अपडेट नहीं होना भी एक प्रमुख समस्या है।

पंजीयन के अभाव में क्रय-विक्रय अधूरा

भारतीय पंजीकरण अधिनियम व संपत्ति अधिनियम के अनुसार रुपए 100 से अधिक क्रय-विक्रय का पंजीकरण होना आवश्यक है तथा व्यावसायिक व घरेलू मकान दुकान का क्रय-विक्रय नोटेरी और पावर अटॉर्नी जरिए हो रहा है। जिसमें पंजीकरण के अभाव में क्रय-विक्रय अधूरा है, और बिना पंजीकरण व नामांतरण के अभाव में एक ही संपत्ति के क्रय-विक्रय के दौरान अनेक मालिक चल रहे हैं। भूखंड का पंजीयन नहीं होने से लोगों को बैंक लोन तक भी नहीं मिल पा रहे हैं।

धारा 354(2) के तहत सूचना जरूरी

नियमों के अनुसार तहसील कार्यालय को हर रजिस्ट्री की सूचना धारा 354(2) छावनी अधिनियम 2006 के अंतर्गत छावनी परिषद को देनी होती है। लेकिन वर्षों से परिषद और तहसील के बीच समन्वय का अभाव बना हुआ है। इस कारण अनेक फाइलें स्वीकृति के बिना अटकी पड़ी हैं, जिससे आमजन को भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है। एक हजार वर्गफीट तक की रजिस्ट्री उप-पंजीयक तहसीलदार के अधिकार क्षेत्र में आती है।

कमी को पूरा करेंगे

रजिस्ट्री की प्रक्रिया चालू करेंगे। जो भी इसकी परेशानी है उसका समाधान होगा। एनओसी का भी समाधान होगा और जीएलआर अपडेट की कमी को भी पूरा करेंगे। - डॉ.नीतीश गुप्ता, मुख्य अधिशासी अधिकारी, छावनी बोर्ड नसीराबाद

उच्च स्तर पर अधिकारियों से बात करके रजिस्ट्री प्रक्रिया को शुरू करवाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे आमजन को राहत मिल सके। - देवीलाल, उपखण्ड अधिकारी, नसीराबाद