
Ahmedabad. गुजरात पुलिस की सीआईडी क्राइम के साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की टीम ने अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह से जुड़े छह सदस्यों को गिरफ्तार किया है। मोरबी,सूरत और सावरकुंडला में दबिश देकर पकड़े गए ये आरोपी म्युल बैंक अकाउंट का उपयोग करके ठगी गई राशि को निकलते, उसे क्रिप्टो करेंसी में परिवर्तित करके और आंगडिया से दुबई में बैठे आरोपियों को भेजते थे। इस गिरोह के विरुद्ध देशभर के अलग-अलग राज्यों के थानों में साइबर ठगी की 386 शिकायतें दर्ज हैं। उनमें 200 करोड़ ठगने का आरोप है।
पकड़े गए आरोपियों में मोरबी माळिया फाटक के पास इंदिरानगर निवासी महेंद्र सोलंकी, जिकियारी गांव निवासी रूपेन भाटिया, सुरेन्द्रनगर जिले की लखतर तहसील के भडवाणा गांव निवासी राकेश कुमार लाणिया, राकेश कुमार देकावाडिया तथा सूरत निवासी विजय खांभल्या और पंकज कथीरिया शामिल हैं। इन्हें मोरबी, सूरत और अमरेली जिले के सावरकुंडला में दबिश देकर पकड़ा है। सोमवार को इसकी जानकारी साझा की गई।
प्राथमिक जांच में सामने आया कि ये सभी छह सदस्य डिजिटल अरेस्ट, फाइनेंशियल फ्रोड, पार्टटाइम जॉब दिलाने के नाम पर साइबर ठगी करने वाले गिरोह से जुड़े हैं। इन्होंने आर्थिक लाभ के लिए लखतर एपीएमसी में एक कंपनी रजिस्टर कराई और दुकान शुरू की। उस दुकान की आड़ में इन्होंने बैंक अकाउंट खुलवाए, जिसकी जानकारी साइबर ठग गिरोह के सदस्यों से साझा की, जिससे उन बैंक अकाउंटों में देशभर के लोगों से होने वाली साइबर ठगी के पैसे जमा होते थे। ये आरोपी उस ठगी की जमा हुई राशि को बैंक खाते से चेक के जरिए, एटीएम के जरिए और ऑनलाइन एप के जरिए निकाल लेते थे। उसके बाद उसे क्रिप्टो करेंसी में परिवर्तित करके और नकदी के रूप में दुबई में बैठे सिंडीकेट के मुख्य आरोपियों को भेज देते थे। इसके लिए इन्हें कमीशन मिलता था।
आरोपियों के पास से 12 मोबाइल फोन और दो सिमकार्ड बरामद हुए हैं। मोबाइल फोन में 100 से ज्यादा बैंक अकाउंट का पता चला है। उनके बारे में जांच की तो सामने आया कि इन बैंक अकाउंट में ठगी के पैसे जमा होने से जुड़े देशभर में 386 मामले समन्वय पोर्टल पर दर्ज हैं। जिसमें 200 करोड़ रुपए की चपत लगाने का आरोप है।
साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने लोगों से कहा कि वे किसी भी व्यक्ति को कमीशन के चक्कर में या अन्य किसी लालच में आकर बैंक अकाउंट की जानकारी साझा न करें। नहीं तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई हो सकती है। कोई बैंक अकाउंट किराए पर मांगे तो पुलिस को सूचना दें। साइबर ठगी होने के एक घंटे में 1930 पर जानकारी देने पर 50 फीसदी राशि को बचाया जा सकता है। कोई पुलिस ,ईडी, ट्राइ, सीबीआई, आरबीआई कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। ऐसी धमकी में ना आएं।
Published on:
03 Nov 2025 10:58 pm
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