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स्व व परकल्याण के लिए करें शक्ति का विकास : आचार्य महाश्रमण

आध्यात्मिक अनुष्ठान से जुड़ा चतुर्विध धर्मसंघ शक्ति के विकास की दी प्रेरणा गांधीनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में शारदीय नवरात्रि के तहत आध्यात्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ हुआ।गांधीनगर में कोबा िस्थत प्रेक्षा विश्व भारती में मंगलवार को वीर भिक्षु समवसरण में आचार्य ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुष्ठान के अंतर्गत मंत्र जप […]

आध्यात्मिक अनुष्ठान से जुड़ा चतुर्विध धर्मसंघ

शक्ति के विकास की दी प्रेरणा

गांधीनगर. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान आचार्य महाश्रमण के सानिध्य में शारदीय नवरात्रि के तहत आध्यात्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ हुआ।
गांधीनगर में कोबा िस्थत प्रेक्षा विश्व भारती में मंगलवार को वीर भिक्षु समवसरण में आचार्य ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुष्ठान के अंतर्गत मंत्र जप का प्रयोग कराया। आचार्य के साथ उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ ने इस अनुष्ठान से जुड़कर स्वयं को लाभान्वित किया।
आचार्य ने चातुर्मास प्रवचन में कहा कि स्व व परकल्याण के लिए शक्ति का विकास करें। आयारो आगम में बताया गया कि उत्थित और स्थित की गति को सम्यक्तया देखो। उत्थित का अर्थ उठा हुआ और स्थित का अर्थ है एक स्थान पर अडिग रहना। आदमी जिस क्षेत्र में भी हो, उसमें उत्थान करे, अच्छी गति करे।
उन्होंने कहा कि यहां आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से विचार करें। नवरात्रि में आध्यात्मिक अनुष्ठान का क्रम चल रहा है। आदमी का आध्यात्मिक दृष्टि से उत्थान हो और शक्ति का भी विकास हो। आदमी का मनोबल अच्छा हो, उसमें साहस और हिम्मत हो तो वह कोई कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य भी सम्पन्न कर सकता है। आदमी में सहनशक्ति और वचनशक्ति भी अपेक्षित होती है। आचार्य ने कहा कि गृहस्थ आदमी को धन की शक्ति का भी क्रम हो सकता है। आदमी की शक्ति किसी की सेवा, दूसरों का भी कल्याण करने में उपयोग होनी चाहिए। शक्ति का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।